ऐसे समय में जब भारतीय सेना का साहस और बलिदान पूरे देश के लिए प्रेरणा बना हुआ है, Zee Cine Awards 2025 ने एक भावनात्मक और गर्व से भरा क्षण प्रस्तुत करते हुए, देश के वीर जवानों को दिल से सलाम किया। मारुति सुजुकी द्वारा प्रस्तुत इस 23वें संस्करण में, असली हीरोज को श्रद्धांजलि देने के साथ राष्ट्रप्रेम और एकता का संदेश दिया गया।
Zee Cine Awards 2025 Tribute: चकाचौंध के बीच देश के लिए समर्पण
जहाँ एक ओर मंच पर चमक-दमक, पुरस्कारों और जश्न का माहौल था, वहीं यह खास श्रद्धांजलि उस भीड़ में एक गंभीर और भावनात्मक पड़ाव बन गई। तिरंगे के सम्मान और मौन श्रद्धा के साथ यह प्रस्तुति इस बात की याद दिलाने आई कि ऐसे मंचों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सम्मान और स्मरण के ज़रिए लोगों के दिलों को जोड़ना भी है।
अपारशक्ति खुराना की ‘वंदे मातरम्’ ने भरा गर्व
इस श्रद्धांजलि को अपारशक्ति खुराना की प्रस्तुति ने और खास बना दिया। उन्होंने वंदे मातरम् को गहरे सम्मान और भावना के साथ प्रस्तुत किया। उनके शब्दों में भारतीय सेना के लिए प्रेम और आदर स्पष्ट झलक रहा था, जिसने पूरे माहौल को देशभक्ति से भर दिया।
पलक मुच्छल की ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ ने रुला दिया
इसके बाद मंच पर आईं गायिका पलक मुच्छल, जिन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगों को पूरे श्रद्धा भाव और सुरों की उत्कृष्टता के साथ गाया। कार्यक्रम संचालक विक्रांत मैसी ने उन्हें “हमारी पीढ़ी की आवाज़” कहते हुए स्वर्गीय लता मंगेशकर जी से तुलना की। इस प्रस्तुति के दौरान उनके पति मिथुन भी मंच पर मौजूद रहे—यह उनकी शादी के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी।
उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति ने कई लोगों की आंखें नम कर दीं और देश के रक्षकों के बलिदान की याद दिला दी।
पलक मुच्छल का भावनात्मक अनुभव
पलक मुच्छल ने कहा:
“यह मेरे करियर के सबसे भावनात्मक और अविस्मरणीय पलों में से एक था। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना गर्व की बात होती है, लेकिन ज़ी सिने अवॉर्ड्स जैसे मंच पर यह गाना मेरे लिए विनम्रता का अनुभव था। यह केवल प्रस्तुति नहीं थी—यह हमारे सैनिकों के लिए दिल से निकली श्रद्धांजलि थी। हर बार जब मैं यह गीत गाती हूं, तो लता दीदी की याद आती है और सोचती हूं कि उन्होंने पहली बार गाते समय क्या महसूस किया होगा। यह सोच आज भी मुझे सिहरन दे जाती है।”
यादगार बन गई यह शाम
अंततः, ज़ी सिने अवॉर्ड्स 2025 केवल फिल्मों और कलाकारों का उत्सव नहीं था, बल्कि यह देश के असली नायकों के सम्मान का एक मंच बनकर उभरा। यह क्षण हमें याद दिलाता है कि हमें उन सैनिकों को कभी नहीं भूलना चाहिए जो हमारे देश की रक्षा के लिए हर दिन समर्पित रहते हैं।
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