
“वो सिर्फ़ एक शिक्षिका नहीं थीं, वो एक सपना थीं
एक शिक्षिका के आकशमिक मृत्यु से शिक्षक संघ मे शोक!!!
समाज को रोशन करने का सपना।पर आज वही सपना अधूरा छोड़कर, वो चिरनिद्रा में लीन हो गईं।”जिस प्रकार एक माँ और शिक्षक का हृदय स्नेह, सेवा और समर्पण से भरा होता है – वैसी ही थीं हमारी शिक्षिका बहन।पर नियति ने इतनी क्रूरता दिखाई कि शब्द भी मौन हो गए।जिस घटना ने एक मासूम जीवन और माँ की ममता को निगल लिया, उसने शिक्षक समाज की आत्मा को गहरे ज़ख्म दिए हैं।“तुम्हारी मुस्कान अब तस्वीरों में रह गई,तुम्हारी बातें अब यादों में बह गई।माँ-बेटे का यूँ जाना, जैसे आसमान से दो तारे टूट गए।”आज पूरे शिक्षक समाज की आँखें नम हैं।हम शोक में हैं, पर साथ ही एक संकल्प भी भीतर से उभरता है –कि अब किसी और शिक्षक या उनके परिवार के साथ ऐसा न हो।ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को शांति दे

BPSC जैसे कठिन परीक्षा दे के बनते है शिक्षक
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